वैसे भी आप लोगों को इतिहास को जानने में काफी ज्यादा मजा आता होगा और आज हम जलियांवाला बाग हत्याकांड के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको मन में अलग ही इंटरेस्ट जगा देगा।
आपके मन में सवाल उठता होगा कि जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ।
दोस्तों जलियांवाला बाग हत्याकांड जो है 13 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर में हुआ।
और इतना ही नहीं जलियांवाला बाग हत्याकांड में डॉक्टर सतपाल और सैफुद्दीन किचलू के गिरफ्तारी के विरोध को लेकर हो रही जहां पर जनसभा हो रही थी वहीं पर आकर जनरल डायर ने अंधाधुंध गोलियों की बारिश करवा उसके कारण कई निर्दोष लोगों की जान गई। अब आपके मन में एक ही सवाल उठता होगा कि कितने लोग जलियांवाला बाग हत्याकांड मारे गए, तो चलिए बता दें कि जो सरकारी रिपोर्ट के अनुसार है उत्तर दिया गया उसमें तो सिर्फ 379 व्यक्ति थे, लेकिन कांग्रेस समिति के अनुसार लगभग 1000 व्यक्ति मारे गए ।
जब जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था तब उस समय पंजाब का लेफ्टिनेंट गवर्नर सर माइकल ओ डायर था।
जलियांवाला बाग हत्याकांड में हंसराज नाम का व्यक्ति जो मूल रूप से भारतीय था उसे व्यक्ति ने डायर का भरपूर सहयोग दिया था।
शंकरन नायर ने जलियांवाला बाग हत्याकांड का विरोध करने के लिए वायसराय की कार्यकारिणी परिषद के सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
महात्मा गांधी ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में कैसर ए हिंद की उपाधि जमना लाल बजाज ने राय बहादुर की उपाधि और रविंद्र नाथ टैगोर ने सर कीउपधि वापस लौटा दी।
जलियांवाला बाग हत्याकांड की जांच के लिए सरकार सरकार ने 19 अक्टूबर 1919 ईस्वी में लॉर्ड हंटर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया जिसमें पांच सदस्य थे।
जलियांवाला बाग जो था जल्ली नाम के व्यक्ति का संपत्ति था।
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